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गुरुवार, 24 मई 2012

बात बेवक़्त बताने की वजह तू जाने




          रोज  इक आस जगाने की वजह तू जाने
बात बेवक़्त बताने की वजह तू जाने

गम की सरगम से जो, बज सकती है ये शहनाई

फिर नये साज़ दिखाने की वजह तू जाने

हम तो हर रोज़ ही ,बिन मोल बिका करते हैं
आज बाज़ार में लाने की वजह तू जाने

है शिकायत तुझे ,ख्वाबों में जीने वालों से
खुलती आँखों  को सुलाने की वजह तू जाने

यूँ तो कल भी है ,दरख़्तों को धूप में जलना

फिर घटा बनके रिझाने की वजह तू जाने

चाँद तकना ही ,बना देगा हमें ग़र मुज़रिम
खिड़कियाँ घर में लगाने की वजह तू जाने

16 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर

    है शिकायत तुझे ,ख्वाबों में जीने वालों से
    खुलती आँखों को सुलाने की वज़ह तू जाने

    वाह!!!!

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  2. हम तो हर रोज़ ही ,बिन मोल बिका करते हैं
    आज बाज़ार में लाने की वज़ह तू जाने

    है शिकायत तुझे ,ख्वाबों में जीने वालों से
    खुलती आँखों को सुलाने की वज़ह तू जाने

    चाँद तकना ही ,बना देगा हमें ग़र मुज़रिम
    खिड़कियाँ घर में लगाने की वज़ह तू जाने

    वाह बहुत खूब .... खूबसूरत गजल

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  3. aapka lekhan laajabab hai.
    aapki prastuti ne mantrmugdh kar diya hai.

    mere blog par aapke aane ka aabhari hun main.

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  4. यूँ तो कल भी है ,दरख़्तों को धूप में जलना
    फ़िर घटा बनके रिझाने की वज़ह तू जाने
    हम तो हर रोज़ ही ,बिन मोल बिका करते हैं
    आज बाज़ार में लाने की वज़ह तू जाने
    bhai Anjani ji lajabab prastuti ke liye badhai....
    gazal ke sher to ab kr gaye asar etana.
    gahre jajbat numais ki vajah too jane ..

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    उत्तर
    1. dhanyawaad naveen bhai ....hausalaa aafzaai ke liye
      aap humse bade ghazal lekhak ho .aakhiri do lines is baat ki pushti karati hain.

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    2. है पता मुझको जो अदनी सी मेरी हस्ती है
      हौसला आज बढ़ाने की वज़ह तू जाने

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  5. बहुत प्यारी ग़ज़ल है बहुत पसंद आई

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  6. चाँद तकना ही ,बना देगा हमें ग़र मुज़रिम
    खिड़कियाँ घर में लगाने की वज़ह तू जाने
    अहा हा हा भाई मज़ा आ गया इस शे’र और पूरी ग़ज़ल पढ़कर।

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  7. चाँद तकना ही ,बना देगा हमें ग़र मुज़रिम
    खिड़कियाँ घर में लगाने की वज़ह तू जाने

    ....बहुत खूब ! बेहतरीन गज़ल....शुभकामनायें !

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  8. सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट कबीर पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  9. यूँ तो कल भी है ,दरख़्तों को धूप में जलना
    फ़िर घटा बनके रिझाने की वज़ह तू जाने

    चाँद तकना ही ,बना देगा हमें ग़र मुज़रिम
    खिड़कियाँ घर में लगाने की वज़ह तू जाने
    प्रिय अंजनी जी खूबसूरत भाव लिए प्यारी गजल ..गुनगुना उठा मन ....जय श्री राधे - भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

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  10. यूँ तो कल भी है ,दरख़्तों को धूप में जलना
    फिर घटा बनके रिझाने की वजह तू जाने
    वाह बहुत खूब

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  11. बहुत ही बढ़िया गजल...
    बहुत ही सुन्दर...

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