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मंगलवार, 29 मई 2012

जब नयनों में तुम ही तुम थे





जब नयनों में तुम ही तुम थे, वो उन्मादी क्षण  पुनः जिला दे
उसी  बावरेपन  की  हाला का , मुझको  दो घूँट पिला दे




जब आती जाती मस्त हवा से, हाल तेरा हम सुनते थे 
जब तुम्हें याद कर करके हम ,सपने कुछ मन में बुनते थे
जब सो जाता था हर कोई ,हम रात में तारे गिनते थे

अब उसी तरह से रातों में, फिर से तारे गिनना सिखला दे
उसी  बावरेपन  की  हाला का , मुझको  दो  घूँट पिला दे



इक दूजे को पाने के लिये, सर्वस्व मिटाया था हमने
इक दूजे का प्रेमी बनकर ,जब नाम कमाया था हमने
है प्रेम जगत का अन्तिम सच, सबको बतलाया था हमने

आ दुसह विरह के इस क्षण में, तू आज प्रणय का रंग मिला दे
उसी  बावरेपन  की  हाला  का ,  मुझको  दो  घूँट पिला दे



ये प्रेमी का सौभाग्य है कि, वो पड़ा प्रेम के फेरे में
पंछी ढूँढ़े है तेरी आहट, फिर से नीड़ बसेरे में
तस्वीर ना गुम होने पाये ,इस फैले हुए अंधेरे में

जो करे तिमिर को छिन्न-भिन्न ,वो प्रेम पूर्णिमा आज बुला दे
उसी  बावरेपन  की  हाला  का ,  मुझको  दो घूँट पिला दे


 

26 टिप्‍पणियां:

  1. जब आती जाती मस्त हवा से, हाल तेरा हम सुनते थे
    जब तुम्हें याद कर करके हम ,सपने कुछ मन में बुनते थे
    जब सो जाता था हर कोई ,हम रात में तारे गिनते थे

    अब उसी तरह से रातों में, फिर से तारे गिनना सिखला दे
    उसी बावरेपन की हाला का , मुझको दो घूँट पिला दे
    ..bahut sundar.. .aapki rachna padhkar Madhushala ki panktiya yaad aa gayee.

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  2. ये प्रेमी का सौभाग्य है कि, वो पड़ा प्रेम के फेरे में
    पंछी ढूँढ़े है तेरी आहट, फिर से नीड़ बसेरे में
    तस्वीर ना गुम होने पाये ,इस फैले हुए अंधेरे में

    बहुत सुंदर अंजनी जी । मेरी कामना है कि आप निरंतर सृजनरत रहें । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  3. जो करे तिमिर को छिन्न-भिन्न ,वो प्रेम पूर्णिमा आज बुला दे
    उसी बावरेपन की हाला का , मुझको दो घूँट पिला दे...

    Excellent creation.

    .

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  4. पावस, चाँद और ये भाव! बहुत खूब...अच्छे कवि होने के सारे गुण मौजूद हैं आपमें।

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  5. वायवी प्रेम और आस से संसिक्त भीगा भीगा गीत बरसातों का श्रृंगार के छींटे वियोग पे उलीचता हुआ .कृपया यहाँ भी -


    बृहस्पतिवार, 31 मई 2012
    शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
    शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?

    माहिरों ने इस अल्पज्ञात संक्रामक बीमारी को इस छुतहा रोग को जो एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुँच सकता है न्यू एच आई वी एड्स ऑफ़ अमेरिका कह दिया है .
    http://veerubhai1947.blogspot.in/

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  6. बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......!!

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  7. आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं !

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  8. प्रेम रस में सराबोर भावपूर्ण रचना

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  9. जो करे तिमिर को छिन्न-भिन्न ,वो प्रेम पूर्णिमा आज बुला दे
    एहसास और मनुहार का यह स्वर .. बहुत खूब

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  10. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  11. प्रकृति संग प्रेम के गीत की लरी बहुत खुबसूरत पिरोई गई है और उस पर सुन्दर मनुहार पूर्ण निमंत्रण .........

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  12. सुंदर....

    जो करे तिमिर को छिन्न-भिन्न ,वो प्रेम पूर्णिमा आज बुला दे...
    बहुत सुंदर...

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  13. कोमल स्मृतियाँ चुन चुन कर, रेशम से सपनों को बुन कर
    पैंजन की रुन झुन रुन झुन कर,फिर आजा बाँसुरिया सुन कर
    उसी बावरी मदिरा के, मुझको दो घूँट पिला देना............

    मखमली भावों की रचना, वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!

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  14. ये प्रेमी का सौभाग्य है कि, वो पड़ा प्रेम के फेरे में
    पंछी ढूँढ़े है तेरी आहट, फिर से नीड़ बसेरे में
    तस्वीर ना गुम होने पाये ,इस फैले हुए अंधेरे में

    जो करे तिमिर को छिन्न-भिन्न ,वो प्रेम पूर्णिमा आज बुला दे
    उसी बावरेपन की हाला का , मुझको दो घूँट पिला दे

    क्या लिखा है आपने !
    वाकई काबिले-तारीफ़ !!
    अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर .....

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  15. bahut hi pyara virah geet. prem-ras se paripoorna
    shubhkamnayen

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  16. बहुत ही सुन्दर प्रेमभाव पूर्ण रचना..

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