जब नयनों में तुम ही तुम थे, वो उन्मादी क्षण पुनः जिला दे
उसी बावरेपन की हाला का , मुझको दो घूँट पिला दे
जब आती जाती मस्त हवा से, हाल तेरा हम सुनते थे
जब तुम्हें याद कर करके हम ,सपने कुछ मन में बुनते थे
जब सो जाता था हर कोई ,हम रात में तारे गिनते थे
अब उसी तरह से रातों में, फिर से तारे गिनना सिखला दे
उसी बावरेपन की हाला का , मुझको दो घूँट पिला दे
इक दूजे को पाने के लिये, सर्वस्व मिटाया था हमने
इक दूजे का प्रेमी बनकर ,जब नाम कमाया था हमने
है प्रेम जगत का अन्तिम सच, सबको बतलाया था हमने
आ दुसह विरह के इस क्षण में, तू आज प्रणय का रंग मिला दे
उसी बावरेपन की हाला का , मुझको दो घूँट पिला दे
ये प्रेमी का सौभाग्य है कि, वो पड़ा प्रेम के फेरे में
पंछी ढूँढ़े है तेरी आहट, फिर से नीड़ बसेरे में
तस्वीर ना गुम होने पाये ,इस फैले हुए अंधेरे में
जो करे तिमिर को छिन्न-भिन्न ,वो प्रेम पूर्णिमा आज बुला दे
उसी बावरेपन की हाला का , मुझको दो घूँट पिला दे
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आंटी
हटाएंजब आती जाती मस्त हवा से, हाल तेरा हम सुनते थे
जवाब देंहटाएंजब तुम्हें याद कर करके हम ,सपने कुछ मन में बुनते थे
जब सो जाता था हर कोई ,हम रात में तारे गिनते थे
अब उसी तरह से रातों में, फिर से तारे गिनना सिखला दे
उसी बावरेपन की हाला का , मुझको दो घूँट पिला दे
..bahut sundar.. .aapki rachna padhkar Madhushala ki panktiya yaad aa gayee.
thank you mam
हटाएंthank you mam
हटाएंये प्रेमी का सौभाग्य है कि, वो पड़ा प्रेम के फेरे में
जवाब देंहटाएंपंछी ढूँढ़े है तेरी आहट, फिर से नीड़ बसेरे में
तस्वीर ना गुम होने पाये ,इस फैले हुए अंधेरे में
बहुत सुंदर अंजनी जी । मेरी कामना है कि आप निरंतर सृजनरत रहें । धन्यवाद ।
जो करे तिमिर को छिन्न-भिन्न ,वो प्रेम पूर्णिमा आज बुला दे
जवाब देंहटाएंउसी बावरेपन की हाला का , मुझको दो घूँट पिला दे...
Excellent creation.
.
thank you mam
हटाएंपावस, चाँद और ये भाव! बहुत खूब...अच्छे कवि होने के सारे गुण मौजूद हैं आपमें।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद देवेन्द्र भाई
हटाएंवायवी प्रेम और आस से संसिक्त भीगा भीगा गीत बरसातों का श्रृंगार के छींटे वियोग पे उलीचता हुआ .कृपया यहाँ भी -
जवाब देंहटाएंबृहस्पतिवार, 31 मई 2012
शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
माहिरों ने इस अल्पज्ञात संक्रामक बीमारी को इस छुतहा रोग को जो एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुँच सकता है न्यू एच आई वी एड्स ऑफ़ अमेरिका कह दिया है .
http://veerubhai1947.blogspot.in/
धन्यवाद सर
हटाएंबहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद संजय भाई
हटाएंआपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं !
जवाब देंहटाएंप्रेम रस में सराबोर भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंthank you mam
हटाएंजो करे तिमिर को छिन्न-भिन्न ,वो प्रेम पूर्णिमा आज बुला दे
जवाब देंहटाएंएहसास और मनुहार का यह स्वर .. बहुत खूब
धन्यवाद सर
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंप्रकृति संग प्रेम के गीत की लरी बहुत खुबसूरत पिरोई गई है और उस पर सुन्दर मनुहार पूर्ण निमंत्रण .........
जवाब देंहटाएंसुंदर....
जवाब देंहटाएंजो करे तिमिर को छिन्न-भिन्न ,वो प्रेम पूर्णिमा आज बुला दे...
बहुत सुंदर...
कोमल स्मृतियाँ चुन चुन कर, रेशम से सपनों को बुन कर
जवाब देंहटाएंपैंजन की रुन झुन रुन झुन कर,फिर आजा बाँसुरिया सुन कर
उसी बावरी मदिरा के, मुझको दो घूँट पिला देना............
मखमली भावों की रचना, वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!
ये प्रेमी का सौभाग्य है कि, वो पड़ा प्रेम के फेरे में
जवाब देंहटाएंपंछी ढूँढ़े है तेरी आहट, फिर से नीड़ बसेरे में
तस्वीर ना गुम होने पाये ,इस फैले हुए अंधेरे में
जो करे तिमिर को छिन्न-भिन्न ,वो प्रेम पूर्णिमा आज बुला दे
उसी बावरेपन की हाला का , मुझको दो घूँट पिला दे
क्या लिखा है आपने !
वाकई काबिले-तारीफ़ !!
अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर .....
bahut hi pyara virah geet. prem-ras se paripoorna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
बहुत ही सुन्दर प्रेमभाव पूर्ण रचना..
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